जनादेश टाइम्स- अध्यात्म टीम- @ambrishpsingh
श्री दुर्गा सप्तशती
कलियुग में समस्त कामनाओं को सिद्ध करने वाली माँ दुर्गा, श्री महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती अपने भक्तों का दु:ख, दरिद्रता, भय, रोगों का नाश कर स्वास्थ्य, निभयता, सुख, ऐश्वर्य, यश और कामना सिद्धि प्रदान करती है ।मां अपने शरणागत का रक्षा/कल्याण करती है।
श्री दुर्गा सप्तशती पाठ विधि (घर में पूजन विधि)
अपने घर में पूजन स्थल पर आसन पर बैठने के बाद जल शुद्धि करें, शरीर शुद्धि, दिशा शुद्धि, आसन शुद्धि, दीपक पूजन, शांति पाठ, तत्पश्चात संकल्प करें, उसके बाद गणेश पूजन, कलश पूजन, नवग्रह पूजन, माता जी का पूजन, फिर आरती (पाठ करने के बाद भी कर सकते हैं) करें। पाठ करने के लिए पहले श्राप विमोचन, देवी कवच, कवच, अर्गला, किलक, रात्रि सुक्तम श्रीदेव्यथर्वशीर्षम्, नवार्ण विधि, नवार्ण मंत्र जप (एक माला), सप्तशती न्यास पाठ (प्रथम पाठ, मध्यम पाठ, उत्तम पाठ) करें। सम्पुटित पाठ करने के लिए सिद्ध सम्पुट मंत्र से अपनी मनोकामनानुसार कोई एक मंत्र लेकर पाठ के मंत्र के आगे-पीछे संपुटित मंत्र लगाएं । पाठों उपरांत नवार्ण विनियोग,न्यास,ध्यान,जप (नवार्ण एक माला),तन्त्रोक्तं देवीसूक्तम् पाठ,तीनो रहस्य पाठ और अंत मे रोजाना देव्यपराधक्षमानस्तोत्रम् पाठ करें। फिर संध्या वंदन, संध्या आरती कर रात्रि विश्राम करें ।
नवमी को हवन उपरांत कन्या भोजन करावे।
कुमार अथर्व
एस्ट्रोलाजर, वास्तुशास्त्र विशेषज्ञ व मोटीवेशनल स्पीकर
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