जनादेश टाइम्स- अध्यात्म टीम- @ambrishpsingh
(कैंची धाम) सीरीज- 1
यह धाम उत्तराखंड के नैनीताल जिले में नैनीताल-अल्मोड़ा मार्ग पर नैनीताल से लगभग 17 किलोमीटर, भवाली से 9 किलोमीटर और अल्मोड़ा से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस धाम को कैंची मंदिर , नीम करौली धाम और नीम करौली आश्रम के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर बाबा नीम करौली महाराज जी ने बनवाया है, जो चमत्कारी बाबा के नाम से प्रसिद्ध है। बाबा नीम करौली महाराज जी केवल उत्तराखंड में ही चमत्कारी बाबा के नाम से नहीं जाने जाते हैं, बल्कि इनकी चमत्कारी की कथाएं विदेशों तक फैली हुई है। बाबा नीम करौली महाराज जी हनुमान जी के भक्त थे, इसलिए नीम करौली महाराज जी को भगवान हनुमान जी का रूप माना जाता हैं।
इस मंदिर की स्थापना के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण बाबा नीम करौली महाराज जी की कृपा से ही हुआ है। कहा जाता है कि सन् 1962 के आस-पास बाबा नीम करौली महाराज जी के कदम रखते ही यहां की धरती धन्य हो गई। ऐसा कहा जाता है कि बाबा नीम करौली महाराज जी हनुमान जी का दूसरा रूप है। बाबा जी ने और इनके भक्तों ने सन् 1964 में कैंची धाम मंदिर में हनुमान जी का भव्य मंदिर बनवाया। इस मंदिर में हनुमान जी के अलावा अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां भी है। अब तो यहां पर बाबा नीम करौली महाराज जी की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित कर दी गई है। बाबा जी एक सिद्धि पुरुष थे, उनकी सिद्धियों के विषय में अनेक कथाएं देश-विदेशो में प्रसिद्ध है।
कैंची मंदिर एक आस्था का केंद्र है। यह मंदिर पीले और सिंदूरी रंग से सजाया गया है। यहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु इस मंदिर में आते हैं। हर साल 15 जून को यहां एक विशाल मेले और भंडारे का आयोजन होता है, जो कि इसके स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस मेले की भव्यता और बाबा जी की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 15 जून को प्रशासन को उस दिन रोड मार्ग बंद करना पड़ जाता है, लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ होने की वजह से। यहां पर भगवान श्री हनुमान जी का भव्य मंदिर भी 15 जून को ही बनाया गया था। इस दिन भक्तजन यहां इस मंदिर में पहुंचकर अपनी श्रद्धा व आस्था को व्यक्त करते हैं।
इस मंदिर का नाम कैंची धाम यहां के दो जबरदस्त मोड़ो की वजह से रखा गया है, जो कैंची के आकार के दिखाई देते हैं। यह मन्दिर चारो तरफ से सुन्दर से पहाड़ो से घिरा हुआ नदी के किनारे स्थित है, मानो ऐसा प्रतीत होता है जैसे स्वर्ग हो।
बाबा जी के बारे में और जाने तो पता चलता है कि बाबा जी का वास्तविक नाम लक्ष्मी नारायण था। इनका जन्म एक ब्राह्मण जमींदार के घर में सन् 1900 ई. के आस-पास हुआ था, जो अकबरपुर नामक गांव जिला फिरोजाबाद उत्तर प्रदेश में स्थित है। बचपन से ही बाबा जी का संसार से मोह हट गया था। 11 साल की उम्र में उनका विवाह हो चुका था। विवाह के कुछ समय बाद वह अपना घर छोड़कर गुजरात चले गए। कहा जाता है कि बाबा जी ने गुजरात एवं भारत के अन्य जगहों मे भ्रमण किया। नीम करौली महाराज जी बीसवीं शताब्दी के महान संतों में जाने जाते हैं। पश्चिमी देशों में इन्हें बाबा रामदास और भगवान दास के नाम से जाना जाता हैं।
बाबा नीम करौली महाराज जी की प्रसिद्धि का अंदाजा आप उनके भक्तों में शामिल एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग और हॉलीवुड एक्टर्स रॉबर्ट्स से लगा सकते हैं। कहा जाता है कि बाबा नीम करौली महाराज जी अपनी मृत्यु की अंतिम तिथि तक हनुमान जी के मंदिर बनवाते रहे और दुखी व्यक्तियों की सेवा करते रहें। कैंची धाम में भी उन्होंने कई दुखियों की सेवा की थी। उनके पास कोई भी व्यक्ति क्यों आया है, वह पहले से ही जान लेते थे। उनको किसी भी घटना का पहले से ही अनुभव हो जाता था। बाबा जी ने कई मंदिर व आश्रम बनवाए, जिनमें सबसे पहले कैंची धाम मंदिर, जो नैनीताल जिले में स्थित है और दूसरा वृंदावन, जो मथुरा में स्थित है।
नोट: हम हर मंगलवार और शनिवार को नीम करौली बाबा जी के जीवन से जुड़ी हुई 21 सत्य घटनाओं को प्रकाशित करेंगे ।
कुमार अथर्व
एस्ट्रोलाजर, वास्तुशास्त्र विशेषज्ञ व मोटीवेशनल स्पीकर
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