खुले बाल, शोक और नकरात्मकता का संदेश..!

फाइल फोटो

जनादेश टाइम्स- अध्यात्म टीम- @ambrishpsingh

रामायण में बताया गया है….

जब देवी सीता का श्रीराम से विवाह होने वाला था, उस समय उनकी माता ने उनके बाल बांधते हुए उनसे कहा था, विवाह उपरांत सदा अपने केश बांध कर रखना।
बंधे हुए लंबे बाल आभूषण सिंगार होने के साथ-साथ संस्कार व मर्यादा में रहना सिखाते हैं।

ये सौभाग्य की निशानी है , 

 एकांत में केवल अपने पति के लिए इन्हें खोलना।

ऋषी मुनियो व साध्वीयो ने हमेशा बाल को बांध कर ही रखा।
महिलाओं के लिए केश सवांरना अत्यंत आवश्यक है उलझे एवं बिखरे हुए बाल अमंगलकारी कहे गए है।

कैकेई का कोपभवन में बिखरे बालों में रुदन करना
और अयोध्या का अमंगल होना।

पति से वियुक्त तथा शोक में डुबी हुई स्त्री ही बाल खुले रखती है।

जब रावण देवी सीता का हरण करता है तो उन्हें केशों से पकड़ कर अपने पुष्पक विमान में ले जाता है।
अत: उसका और उसके वंश का नाश हो गया।

महाभारत युद्ध से पूर्व कौरवों ने द्रौपदी के बालों पर हाथ डाला था, उनका कोई भी अंश जीवित न रहा।

कंस ने देवकी की आठवीं संतान को जब बालों से पटक कर मारना चाहा तो वह उसके हाथों से निकल कर महामाया के रूप में अवतरित हुई।

कंस ने भी अबला के बालों पर हाथ डाला तो उसके भी संपूर्ण राज-कुल का नाश हो गया।।

सौभाग्यवती स्त्री के बालों
को सम्मान की निशानी कही गयी है।

भोजन आदि में बाल आ जाय तो उस भोजन को ही हटा दिया जाता है।

बालों के द्वारा बहुत सी तन्त्र क्रिया होती है जैसे वशीकरण

यदि कोई स्त्री खुले बाल करके निर्जन स्थान या… ऐसा स्थान जहाँ पर किसी की अकाल मृत्यु हुई है.. ऐसे स्थान से गुजरती है तो अवश्य ही प्रेत 

💀

 बाधा का योग बन जायेगा.।।

वर्तमान समय में पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से महिलाये खुले बाल करके रहना चाहती हैं, और जब बाल खुले होगें तो आचरण भी स्वछंद ही होगा।

ओमवीर(प्रताप)एस्ट्रोलाजर, वास्तुशास्त्र कंसलटेंट एंड मोटीवेशनल स्पीकर, समाधान क्लब, हरिद्वार, उत्तराखंड-  व्हाट्सअप- +91- 9987366641  Email- omveersmadhanclub@gmail.com ट्वीटर-: @omveerpratap

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जय श्री राधे कृष्ण 

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