
जनादेश टाइम्स- अध्यात्म टीम- @ambrishpsingh
सिल बट्टा
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प्राचीन भारत के ऋषियों ने भोजन विज्ञानं, माता और बहनों की स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए सिल बट्टा का अविष्कार किया !
यह तकनीक का विकास समाज की प्रगति और पर्यावरण की रक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया। आधुनिक काल में भी सिल बट्टे का प्रयोग बहुत लाभकारी है –
1 .. सिल बट्टा पत्थर से बनता है, पत्थर में सभी प्रकार की खनिजों की भरपूर मात्रा होती है, इसलिए सिल बट्टे से पिसा हुआ मसाले से बना भोजन का स्वाद सबसे उत्तम होता है।
2 .. सिल बट्टे में मसाले पिसते वक्त जो व्यायाम होता है उससे पेट बाहर नही निकलता और जिम्नासियम का खर्चा बचता है।
3 .. माताए और बहने जब सिल बट्टे का प्रयोग करते है तो उनके यूटेरस का व्यायाम होता है जिससे कभी सिजेरियन डिलीवरी नही होती, हमेशा नोर्मल डिलीवरी होती है। इससे अस्पताल का खर्चा बच जाता है । दो बच्चे ही सिजेरियन से हो पाते है , शरीर की क्षमता समाप्त हो जाती है, वजन बढ़ने लगता है । सिजेरियन से बचे ।
4 .. सिल बट्टे का प्रयोग करने से मिक्सर चलाने की बिजली का खर्चा भी बचता है।
5 .. सिल बट्टे पर बनी चटनी और पिसा मसाला बहुत स्वादिष्ट होता है ।
6 .. बिजली का खर्च एवं सिजेरियन करने का खर्चा नहीं होता जिस से स्वाथ्य सुंदर रहता है ।
आपके सिल बट्टा खरीदने से गाँव के गरीब कारीगरों को सीधा रोजगार मिलेगा उनके जिन्दगी की तकलीफे दूर होंगी।
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ओमवीर(प्रताप)एस्ट्रोलाजर, वास्तुशास्त्र कंसलटेंट एंड मोटीवेशनल स्पीकर, समाधान क्लब, हरिद्वार, उत्तराखंड- व्हाट्सअप- +91- 9987366641 Email- omveersmadhanclub@gmail.com ट्वीटर-: @omveerpratap
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