सरकार का इकबाल कायम रखने को जूझ रहे सीडीओ उन्नाव

ब्यूरो रिपोर्ट

जिला, सरकार की मनोभावना का दर्पण होता है। सरकार की नीतियों को अमलीजामा पहनाने, उन्हें मूर्तरूप प्रदान करने का कार्य ज़िला प्रशासन का है। जनपद की प्रशासनिक मशीनरी जितनी सतर्क, सक्रिय व समावेशी होगी, सरकार की सफलता का प्रतिशत भी उतना ही अधिक होगा।

इसी धरातल पर उन्नाव जिला प्रशासन की कार्यशैली बदली हुई कार्य संस्कृति को प्रकट कर रही है।

जनपद के मुख्य विकास अधिकारी दिव्यांशु पटेल द्वारा क्षेत्रीय विधायकों के शिकायती पत्रों पर त्वरित व निष्पक्ष कार्यवाही की अविराम शृंखला जनपद वासियों के मन में व्यवस्था के प्रति विश्वास पैदा कर रही है।

ग्राम पंचायतों की अनियमितताओं से लेकर विभागीय भ्रष्टाचार पर चली ज़ीरो टॉलरेंस की तलवार उन्नाव ज़िला प्रशासन की कार्यशैली में योगी सरकार के विजन के प्रभाव को साफ दर्शाता है।

लगभग 11 माह में 15 से अधिक निष्पक्ष जांचों के माध्यम से आमजन तक सरकार के ‘इकबाल’ को पहुंचाने वाले दिव्यांशु पटेल जहां जनपद वासियों के लिए योगी सरकार के ‘विजन एम्बेसडर’ हैं वहीं समानांतर सत्ता चलाने वालों की आंखों की किरकिरी बन गए हैं।

सिंचाई विभाग के बड़े घोटाले के पर्दाफाश, मनरेगा में चल रहे खेल के खुलासे, ग्राम प्रधानों और ग्राम सचिवों की दुरभिसंधि को उजागर करने वाले CDO दिव्यांशु के तबादले के लिए जिले के स्वनाम धन्य ‘मठाधीशों’ द्वारा की जा रही लामबन्दी की चर्चा काफी जोरों पर है। यह महज चर्चा है या हकीकत ये तो समय बताएगा किंतु यह तय है कि यदि CDO दिव्यांशु पटेल का कार्यकाल जनपद में कुछ समय और रहा तो भ्रष्टाचार के कुछ बड़े मामलों का खुलासा सुनिश्चित है।

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