सरकारी अव्यवस्था के शिकार होते एनईईटी-जेईई के बिहारी छात्र

रवि आनंद, वरिष्ठ टेलीविजन पत्रकार

देशभर में कोरोना माहमारी के बीच एनईईटी-जेईई के छात्र लगातार परीक्षाओं को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने भी छात्रों की मांग को खारिज करते हुए परीक्षा को आयोजित कराने को लेकर तल्ख टिप्पणी की थी। वही दूसरी ओर कोरोना की बढ़ती रफ़्तार ने देशभर के कई राज्यों में लॉकडाउन 6 सितम्बर तक जारी है जहां होटल और सार्वजनिक वाहन की रोक के कारण बसों और ट्रेनों की परिचालन बन्द पड़ी है ऐसे में छात्रों को परीक्षा केंद्र तक पहुंचाने और वहां पर रुकने के लिए क्या-क्या व्यवस्था की जाएगी इसपर कोई भी चर्चा नहीं हो रही है। इस बात को समझते हुए छात्रों की समस्या को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल को अवगत कराया है कि दीवाली के बाद NEET, JEE 2020 और इसी तरह की अन्य परीक्षाएं आयोजित की जानी चाहिए। बीजेपी सांसद ने ट्विटर पर भी कहा, मैंने शिक्षा मंत्री से कहा है कि दीपावली के बाद NEET और अन्य परीक्षाएं आयोजित की जाएं। मैं अभी पीएम को एक जरूरी पत्र भेज रहा हूं। इसी बीच सरकार ने निर्देश जारी किए हैं परीक्षाओं के लिए विद्यार्थियों को सेंटर पहुंचने को कहा है। इन परीक्षाओं के लिए विद्यार्थी पूरे साल इंतजार करते हैं। इस समय जहां पर सोशल डिस्टैंसिंग के लिए लोगों पर जोर डाला जा रहा है, वहीं सरकार ने छत्रों को सेंटर पर परीक्षाएं देने का फैसला ले लिया है। बता दें कि इस फैसले को लेकर चिराग पासवान ने शिक्षा मंत्री को चिट्ठी लिख कर हालात से अवगत करवाया है। हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने NEET और JEE की परीक्षाओं के लिए तारीख तय कर दी है। देखने वाली बात ये है कि इस समय जहां पर सब बंद है और लोग हर तरह से एहतियात बरत रहे हैं। चिट्ठी में पासवान लिखते हैं कि यह समस्या सिर्फ मेरी लोकसभा क्षेत्र जमुई या सिर्फ बिहार के बच्चों के लिए नहीं बल्कि पूरे भारत के बच्चों लिए है। इस समय किसी भी तरह का सरकारी परिवाहन की कोई सुविधा नहीं है। जिसके कारण कई छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही इस परीक्षा का हिस्सा बनने के लिए देश के हर तबके से बच्चे आते हैं और इसी के साथ ही उनके पास इस लॉकडाउन में इतनी सुविधा नहीं होगी की वो इस तरह का खर्चा उठा सकें। आपन माटी बिहार संस्था से अविनाश कुमार ने भी एक वीडियो के जरिए ये बताया कि किस तरह से बच्चों के सपने इस साल टूट ना जाएं। इतना ही नहीं अविनाश का कहना है कि एग्जाम होना जरूरी है। मगर इस समय में जहां पर ना ही कोई सरकारी वाहन चल रहा है और ना ही कोई होटल खुला है, इस समय अभिभावकों को कई तरह की परेशानियां आ जाएंगी। बताते चलें कि वीडियो के जरिए अविनाश कुमार ने सरकार से अपील की है कि बिहार में जिस तरह के हालात हैं उसको देखते हुए अभी सरकार को इस परीक्षा को आगे बढ़ाने के बारे में सोचना चाहिए। साथ ही कई बच्चें काफी गरीब परिवारों, कस्बों और जिलों से आते हैं और वो लोग इस समय सेंटर तक नहीं पहुंच पाएंगे। अविनाश कुमार की सरकार से बार-बार यही अपील है कि एग्जाम को टाल दिया जाए। इसकी बड़ी वजह ये भी है कि जिस समय देश में एग्जाम है उसी तारीख तक बिहार में संपूर्ण लॉकडाउन भी लगा है। वही इस पर बात करते हुए चिराग पासवान कहते हैं कि हो सकता है कि कुछ छात्रों को अपने प्रदेश के बाहर परीक्षा देने जाना और चूकि सभी बच्चे 17-18 साल के अंदर होते हैं और इस कारण अभिभावकों का साथ में होना जरूरी होता है को इसलिए उनकों कहीं ठहरना होगा। कई राज्यों में लॉकडउन के कारण सब रुकने की जगहों पर ताला लगा होगा जिसके कारण कहीं भी रुकना मुश्किल हो जाएगा। साथ ही बिहार की स्थिती के बारे में बताते हुए कहा था कि आधा बिहार बाढ़ में डूबा है। इसी कारण कई बच्चों का आना मुश्किल है। इसी के साथ ही कोरोना (कोविड-19) माहमारी के चलते कुछ बच्चें बीमारी की चपेट में आए हैं इस कारण हो सकता है वो इस परीक्षा के लिए न भी आएं।

(लेखक- रवि आनंद, वरिष्ठ टेलीविजन पत्रकार है ।)

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