नीम करोली बाबा की बुलेट फ्रूट कंबल की रोचक कहानी..!

फाइल फोटो

जनादेश टाइम्स- अध्यात्म टीम- @ambrishpsingh

जय गुरूदेव , जय बाबाजी

गुरुब्रह्मा ग्रुरुविष्णु: गुरुदेवो महेश्वर: ।

गुरू: साक्षात् परं ब्रह्म तसमै श्री गुरवे नम: ॥

जयगुरूदेव जयगुरूदेव बाबाजी हम आपकी शरण में हैं हमारी रक्षा करें– बाबाजी के अनसुने किस्से- घटना-6


रिचर्ड एलपर्ट (रामदास) ने नीम करोली बाबा के चमत्कारों पर ‘मिरेकल ऑफ़ लव’ नामक एक किताब लिखी इसी में ‘बुलेटप्रूफ कंबल’ नाम से एक घटना का जिक्र है। बाबा के कई भक्त थे ।उनमें से ही एक बुजुर्ग दंपत्ति जो फतेहगढ में रहते थे । यह घटना 1943 की है। एक दिन अचानक बाबा उनके घर पहुंच गए और कहने लगे वे रात में यहीं रुकेंगे। दोनों दंपत्ति को अपार खुशी तो हुई, लेकिन उन्हें इस बात का दुख भी हुआ कि उनके पास में महाराज की सेवा करने के लिए कुछ भी नहीं है । हालाकि जो भी था उन्होंने बाबा के समक्ष प्रस्तुत कर दिया। बाबा वह खाकर एक चारपाई पर लेट गए और कंबल ओढकर सो गए। दोनों बुजुर्ग दंपत्ति भी सो गए, लेकिन क्या नींद आती। महाराजजी कंबल ओढकर रातभर कराहते रहे, ऐसे में उन्हें कैसे नींद आती। वे वहीं बैठे रहे उनकी चारपाई के पास। पता नहीं महाराज को क्या हो गया। जैसे कोई उन्हें मार रहा है। जैसे-तैसे कराहते-कराहते सुबह हुई। सुबह बाबाजी उठे और चादर को लपेटकर बजुर्ग दंपत्ति को देते हुए कहा इसे गंगा में प्रवाहित कर देना। इसे खोलकर देखना नहीं अन्यथा फंस जाओगे। दोनों दंपित्त ने बाबाजी की आज्ञा का पालन किया। जाते हुए बाबा ने कहा कि चिंता मत करना महीने भर में आपका बेटा लौट आएगा। जब वे चादर लेकर नदी की ओर जा रहे थे। तो उन्होंने महसूस किया की इसमें लोहे का सामान रखा हुआ है, लेकिन बाबा ने तो खाली चादर ही हमारे सामने लपेटकर हमें दे दी थी खैर, हमें क्या। हमें तो बाबाजी की आज्ञा का पालन करना है। उन्होंने वह चादर वैसी की वैसी ही नदी में प्रवाहित कर दी। लगभग एक माह के बाद बुजुर्ग दंपत्ति का इकलौता पुत्र बर्मा फ्रंट से लौट आया। वह ब्रिटिश फौज में सैनिक था और दूसरे विश्वयुद्ध के वक्त वह बर्मा फ्रंट पर तैनात था । उसे देखकर दोनों बुजुर्ग दंपत्ति खुश हो गए और उसने फिर आकर कुछ ऐसी कहानी बताई जो किसी को समझ नहीं आई। उसने बताया कि करीब महीने भर पहले एक दिन वह दुश्मन फौजों के साथ घिर गया था। रातभर गोलीबारी हुई । उसके सारे साथी मारे गए लेकिन वह अकेला बच गया। मैं कैसे बच गया यह मुझे पता नहीं। उस गोलीबारी में उसे एक भी गोली नहीं लगी। रातभर वह जापानी दुश्मनों के बीच जिंदा बचा रहा । भोर मे जब और अधिक ब्रिटिश टुकड़ी आई तो उसकी जान में जान आई । यह वही रात थी जिस रात नीम करोली बाबा जी बुजुर्ग दंपत्ति के घर रुके थे ।


जय बाबाजी नीम करौली , जयगुरूदेव , जय बजरंगबली।

ओमवीर(प्रताप)एस्ट्रोलाजर, वास्तुशास्त्र कंसलटेंट एंड मोटीवेशनल स्पीकर, समाधान क्लब, हरिद्वार, उत्तराखंड-  व्हाट्सअप- +91- 9987366641 Email- omveersmadhanclub@gmail.com ट्वीटर-: @omveerpratap

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