लेखक, प्रणय विक्रम सिंह
भारत ‘नवनिर्माण’ की अमृत बेला से गुजर रहा है। ‘अंत्योदय’ के दर्शन में विकास को ढाल कर ‘राष्ट्रोदय’ की स्वर्णिम संकल्पना को साकार करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस युगांतरकारी ‘नव निर्माण’ के वास्तुकार हैं।
वंचितों, शोषितों, उपेक्षितों, उपहासितों, किसानों और महिलाओं के सर्वांगीण उत्थान को समर्पित यह ‘निर्माण प्रक्रिया’ भारत के पुरातन गौरव की पुनर्स्थापना की चिर उत्कंठा का परिणाम है। अभिलाषा महान किंतु अनेकानेक व्यवधान। लेकिन जब नेतृत्वकर्ता नरेंद्र मोदी जैसा दृढ़ संकल्पी हो तो समस्याओं के समाधान निकल ही आते हैं।
दशकों से देश में अलगाव की आग धधकाने वाले अनुच्छेद 370 और धारा 35 A जैसे नासूर के शांतिपूर्ण निर्मूलन से मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति को बखूबी समझा जा सकता है।
ऐसे ही सदियों से मजहबी आतंकवाद व राजनीतिक तुष्टीकरण की कुचेष्टाओं के कारण सप्रयास लम्बित किए गए श्रीरामजन्मस्थान विवाद का शांतिपूर्ण एवं विधि सम्मत समाधान निकाल कर शताब्दियों से आहत सनातन आस्था को उसका गौरव वापस लौटने का अनिर्वचनीय कार्य भी नरेंद्र मोदी की प्रबल तेजस्विता का अप्रतिम उदाहरण है।
यही नहीं मजहबी पुरुषवादी कट्टरवाद की अपमानजनक आग में 1400 वर्षों से मातृशक्ति को जला रही तीन तलाक की ‘कुप्रथा’ का अंत कर हव्वा की बेटियों को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अवसर उपलब्ध करा कर नरेंद्र मोदी ने भारतीय लोकतंत्र को नई ऊंचाइयां दीं और समतामूलक समाज की स्थापना में मील का पत्थर स्थापित किया। इन सबके मध्य, ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के माध्यम से घर-घर बने शौचालयों ने स्वास्थ्य सुरक्षा के साथ-साथ जो नारी शक्ति के “सम्मान” संरक्षण का जो अतुल्य कार्य किया है, उसके लिए तो मानव सभ्यता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सदैव ऋणी रहेगी।
मुझे यह कहने में तनिक भी संकोच नहीं कि वैश्विक महामारी कोरोना की क्रूर विभीषिका के कारण ‘आस व विश्वास’ की टूटती डोर पर असहाय और असहज स्थिति में बैठे भारत के जन गण मन में एकाएक ‘जान, जहान एवं जीविका’ के सुरक्षित होने के सुखद अहसास से उत्पन्न अनिर्वचनीय ‘आत्मविश्वास’ का नाम हैं नरेंद्र मोदी।
यही कारण है कि “इदं राष्ट्राय इदं न मम” जैसे राष्ट्र साधना के पुनीत मंत्र को चरितार्थ करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज, राष्ट्रीय आशा, अपेक्षा और अभिलाषा का केंद्र बन गए हैं।
‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ की कार्य संस्कृति को मूर्तरूप प्रदान करते ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के शिल्पकार मोदी, “नए भारत” के विश्वकर्मा हैं। नया भारत, जो शत्रु को घर में घुस कर मारता है। जो, डिजिटल इण्डिया की तरंगो पर थिरकता है। जिसका प्रगति पथ, अंतिम व्यक्ति से अंतरिक्ष तक है। जहां राष्ट्र रक्षा ही धर्म है। जहां “अंत्योदय से राष्ट्रोदय” एक राष्ट्रीय संकल्प है। जहां, आतंक और अनियमितता का निर्मूलन राष्ट्रीय विचार है।
मां और मातृभूमि के प्रति अगाध श्रद्धा से पूरित और पं. दीनदयाल उपाध्याय की राष्ट्रवादी विचारधारा में दीक्षित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय जनमानस के ऐसे महानायक हैं जो आस्था और आधुनिकता के संगम तथा परंपरा और प्रगतिशीलता के सेतुबंध हैं।
वह एक तरफ भारत की सकल आस्था के केंद्र प्रभु श्रीरामजन्मस्थान पर बन रहे दिव्य-भव्य राम मंदिर के निर्माण, पावन संगमस्थली प्रयागराज में विश्व प्रसिद्ध कुम्भ के आयोजन और हजारों वर्षों पूर्व भारतीय मनीषियों द्वारा मानवता को भेंट की गई अतुल्य विधा योग से सम्पूर्ण जगत का साक्षात्कार कराने जैसे दुसाध्य कार्य को निर्णायक दिशा देते हैं वहीं दूसरी तरफ मुद्रा योजना, स्टार्ट अप इण्डिया, स्टैण्ड-अप इण्डिया जैसी योजनाओं द्वारा भारतीय उद्यमशीलता एवं नवाचार को नए आयाम प्रदान करते हैं।
यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है कि भारत जैसा विकासशील राष्ट्र एक नहीं 02 प्रकार की स्वदेशी कोविड वैक्सीन का निर्माण कर सम्पूर्ण विश्व को हतप्रभ कर देता है। ऐसी ही अभूतपूर्व उपलब्धियों को राजनीतिक जगत ‘मोदी मैजिक’ की संज्ञा देता है। यही नहीं अनेक मित्र राष्ट्रों को निःशुल्क कोविड वैक्सीन उपलब्ध करवाकर भारत की महान ‘वसुधैव कुटुंबकम’ संस्कृति से दुनिया को परिचित कराया।
हर भारतीय को निःशुल्क कोरोना वैक्सीन लगवाने का निर्णय और उसे सफलतापूर्वक पूर्ण करने का कार्य सिर्फ मोदी जैसा स्टेट्समैन ही कर सकता है।
डिजिटल होता इण्डिया, मोदी की दूरदृष्टि का ही सुफल है। “लोकल के लिए वोकल” होकर मोदी ने स्वदेशी से स्वशासन की संकल्पना को स्वर प्रदान कर “आत्मनिर्भर भारत” की बुनियाद रखने का कार्य किया है।
भारतीय लोकतंत्र में गरीबी उन्मूलन के लिए ‘नारे’ तो बड़े क्रांतिकारी बने लेकिन गरीबी हटाने के लिए फैसलाकुन प्रयासों की हमेशा कमी रही। अतः गरीबी सुरसा की तरह बढ़ती गई और निर्धन समुदाय बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी मोहताज हो गया। लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने विकास को अंत्योदय की अवधारणा से जोड़कर शताब्दियों की पीड़ा को हरने का ऐतिहासिक कार्य किया है। अब देखिए, संसाधनहीनता के चलते दशकों से चूल्हे के धुएं से अपना स्वास्थ्य खोने को विवश महिला शक्ति को उज्ज्वला योजना के माध्यम से निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन प्रदान कर उसे वंचना से मुक्ति दिलाने का कार्य किया। निर्धन समाज को 05 लाख रुपए तक निःशुल्क चिकित्सा सुविधाओं से लाभान्वित करने हेतु शुरू की गई ‘आयुष्मान भारत’ योजना ने इलाज के लिए गरीबों के खेत और मकानों को बिकने से बचाने का कार्य किया है। अन्नदाता किसानों की आत्महंता बनने की विवशता समझते हुए प्रारम्भ की गई, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री ग्राम सिंचाई योजना आदि के माध्यम से करोड़ों अन्नदाता किसानों के जीवन में आय का वर्धन और मौसम जनित अस्थिरता का अंत करने का कार्य सम्पन्न हुआ।
आज, ‘प्रधानमंत्री जनधन योजना’ के कारण ही करोड़ों लाभार्थी, सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं से सीधे जुड़ पाए हैं।
हरि अनन्त, हरि कथा अन्नता की भांति ‘नए भारत’ का निर्माण करती प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित योजनाओं की अगणित श्रंखला के विषय में जितना लिखा जाए, कम है। अधिकांश योजनाओं का जिक्र यहां नहीं हो पाया है लेकिन निश्चित रूप से वह आमजन के मानस पर अवश्य अंकित होंगी।
कह सकते हैं कि ग्रामोदय से भारत उदय तक, प्रधानमंत्री आवास योजना से किसान सम्मान निधि तक, धारा-370 से तीन तलाक की कुप्रथा हटाने तक मोदी के हर निर्णय ने भारत और भारतीय लोकतंत्र को मजबूती प्रदान की है।
इन सबके दरम्यान अनेक सियासी जमातें और बहुत सारे लोग विभिन्न कारणों से मोदी से असहमत भी हैं लेकिन इन तमाम असहमतियों और चुनौतियों के मध्य “मोदी” आज भारतीय राजनीति के केंद्र भी हैं, परिधि भी हैं।
दरअसल, भारतीय राजनीति में नरेंद्र मोदी होने के अनेक मायने हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंद की सियासत में “अंत्योदय” का प्रतीक हैं। उनकी उपस्थिति भारतीय लोकतंत्र को परिवारवाद, जातीय अधिनायकवाद तथा कुलीन श्रेष्ठताबोध की जड़ता से मुक्ति का अहसास कराती है।
इतनी विराटता कि कभी वीजा देने से इंकार करने वाला महाबली अमेरिका ‘हाउडी मोदी’ के जयघोष के साथ उनका नागरिक अभिनंदन करता है। सरलता इतनी कि पतितपावनी मां गंगा के तीर, वह स्वच्छताकर्मियों के चरण धोकर कृष्ण-सुदामा की स्मृति को जीवंत कर देते हैं। प्रत्येक स्थिति में मित्रता निभाने के लिए प्रसिद्ध नरेंद्र मोदी, शत्रुओं को सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक का “उपहार” देकर हतप्रभ कर देते हैं।
यह “मोदी इफेक्ट” ही है जिसके कारण हम सभी ने पाक और चीन के मुद्दे पर विश्व जनमत को ‘भारतपक्षीय’ होते हुए अनेक बार देखा है।
भारतीय राजनीति में “जीवित किंवदंती” बन चुके “अपराजेय” छवि वाले मोदी के विषय में जितनी अधिक बात उनके समर्थक करते हैं, उससे कहीं अधिक चिंतन उनके विरोधी करते हैं। मतलब समर्थक और विरोधी दोनों के मन पर “मन की बात” करने वाले मोदी का कब्जा है। यह ‘कब्जा’ हमेशा बरकरार रहे। ताकि लोकतंत्र आबाद रहे।
फिलहाल, सहमति और असहमति दोनों स्थितियों में भारतीय लोकतंत्र को सात्विक मर्यादाओं का पुनर्पाठ कराने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी 71वीं वर्षगांठ पर दिली मुबारकबाद।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।